राधा को भी हूँ प्यारी, मीरा को भी हूँ प्यारी
अधरों को चूमती
हूँ मैं प्रेयसी
तुम्हारी
तन प्राण मेरे
पुलकित, तेरे तेज
से हैं यौवन
मुरली हूँ मैं
तुम्हारी, तुम प्रिय
मेरे मोहन
इतरा के सज
रहीं हूँ हर छवि पर
तुम्हारी
है प्राण मुझमे
तेरे है सांस भी तुम्हारी
राधा को भी
हूँ प्यारी, मीरा
को भी हूँ प्यारी
अधरों को चूमती
हूँ मैं प्रेयसी
तुम्हारी
हर जन्म में तुम्हारी
मैं बांसुरी बनूंगी
जीवन मिला तुम्ही से
तुम पर ही वार दूंगी
है काल चक्र तेरा सब
कला भी तुम्हारी
तेरे सुरों पे रीझै वृषभान
की दुलारी
राधा को भी
हूँ प्यारी, मीरा
को भी हूँ प्यारी
अधरों को चूमती
हूँ मैं प्रेयसी
तुम्हारी
माया के द्वार
मुझमे तू मूँद दे ओ
प्यारे
भर सांस धन्य
करदे मेरे रोम
रोम सारे
तूने अंग जो
लगाया मैं जाऊं
बलिहारी
तेरे प्रेम में
मगन हूँ मेरे
बांके बिहारी
राधा को भी
हूँ प्यारी, मीरा
को भी हूँ प्यारी
अधरों को चूमती
हूँ मैं प्रेयसी
तुम्हारी
- Amit Roop
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